उन्हीं में से कुछ सवाल या फैक्टस जैसे पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है? और सप्ताह में 7 दिन होते हैं तो छुट्टी केवल संडे को ही क्यों होती है? और क्या दोस्तों ऐसा भी कोई गांव हो सकता है जहां पर केवल एक ही इंसान रहता हो?
दोस्तों इन सभी फैक्टस और सवालों के जवाब लेकर मैं आप सभी के सामने हाजिर हूं अगर आप भी जानना चाहते हैं इन इंटरेस्टिंग फैक्टस के बारे में तो ब्लॉग पोस्ट के साथ अंत तक बने रहिए।
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01. पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है ?
दोस्तों भारतीय पुलिस हमारी कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहती है. आमतौर पर हम पुलिस की पहचान उनकी वर्दी से करते है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है और कैसे पुलिस वर्दी की शुरुआत हुई थी।
आइए दोस्तों मैं आपको बताता हूं कि पुलिस की वर्दी की शुरुआत कब और क्यों हुई, BPRD यानी Bureau of Police Research and Development की रिपोर्ट के अनुसार,
पहली आधुनिक पुलिस जो की लन्दन मेट्रोपोलिटन पुलिस थी, उन्होंने 1829 में डार्क ब्लू रंग का एक अपना यूनिफार्म बनाया जो की पैरामिलिटरी स्टाइल यूनिफार्म था।
उन्होंने यह ब्लू रंग इसलिए चुना, क्योंकि उस समय ब्रिटिश की आर्मी लाल और सफ़ेद रंग का यूनिफार्म पहनती थी। इसलिए ब्रिटिश आर्मी से अलग दिखने के लिए ब्लू रंग चुना गया था।
धीरे-धीरे सभी सरकारों ने अपनी आर्मी और पुलिस के लिए वर्दी लागू करना शुरू कर दिया और फिर यह चीज है सभी देशों ने फॉलो करना शुरू कर दिया।
जब भारत में ब्रिटिश राज था उस पुलिस समय सफेद रंग की वर्दी पहना करते थे ।
लेकिन लंबी ड्यूटी होने के कारण उनकी वर्दी काफी ज्यादा गंदी हो जाती थी और उस गंदगी को छुपाने के लिए पुलिसकर्मियों ने अपनी वर्दी को अलग-अलग रंगों में रंग ना शुरू कर दिया।
और हुआ यह कि पुलिस अलग-अलग रंगों की वर्दी में दिखाई देने लगे।
जब यह चीज ब्रिटिश अफसरों ने देखी तो उन्होंने इसका सॉल्यूशन ढूंढने का सोचा और उन्होंने खाकी रंग की डाई तैयार करवाई, खाकी रंग हल्का पीला और भूरे रंग का मिश्रण होता है।
इसलिए उन्होंने चाय की पत्ती का पानी या फिर कॉटन फैब्रिक कलर को डाई की तरह इस्तेमाल किया जिसके कारण उनकी वर्दी का रंग खाकी हो गया।
खाकी रंग की वर्दी होने के कारण उस पर धूल मिट्टी के हैं निशान काफी कम दिखते थे।
और फिर सन 1847 में सर हैरी लम्सडेन अधिकारी तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया और उसी समय से भारतीय पुलिस में खाकी रंग की वर्दी चली आ रही है।
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02. क्या आप जानते हैं कि सन्डे को ही छुट्टी क्यों होती है?
दोस्तों अगर सप्ताह में सबसे ज्यादा किसी दिन का इंतजार होता है तो वह दिन है रविवार क्योंकि उस दिन होती है सभी कामों से छुट्टी रहती है।
लेकिन दोस्तों साथ ही में एक सवाल भी मन में आता है कि आखिर छुट्टी संडे को ही क्यों होती है जबकि सप्ताह में तो और भी दिन होते है।
दोस्तों जो छुट्टी हमें सबसे ज्यादा प्रिय है और छुट्टी को पाने के लिए इतिहास में काफी ज्यादा संघर्ष रहा है।
दोस्तों जब भारत पर ब्रिटिश शासकों का राज था उस समय भारतीय मिल मजदूरों को लगातार सातों दिन काम करना पड़ता था और उन्हें कोई भी छुट्टी नहीं दी जाती थी।
जबकि हर रविवार ब्रिटिश चर्च जाकर प्रार्थना करते थे लेकिन भारतीयों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था और वह रविवार को भी काम करते रहते थे।
लेकिन श्री नारायण मेघाजी लोखंडे जो कि उस समय के मिल मजदूरों के नेता थे उन्होंने अंग्रेजों के सामने एक प्रस्ताव रखा कि वह सप्ताह में 6 दिन ही काम करेंगे और उन्हें रविवार का दिन अपने देश और समाज की सेवा के लिए चाहिए।
साथ ही में उन्होंने कहा कि रविवार हिंदू देवता “खंडोबा” का दिन है, इसलिए भी सन्डे को साप्ताहिक छुट्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।
लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। हालांकि लोखंडे ने हार नहीं मानी और उन्होंने लगातार संडे की छुट्टी के लिए अपील की और अपना संघर्ष जारी रखा।
अंततः 7 साल के लम्बे संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी का दिन घोषित किया।
और दोस्तों साथ में है यह कहना भी गलत नहीं होगा कि, श्री नारायण मेघाजी लोखंडे की वजह से ही मजदूरों को रविवार को साप्ताहिक छुट्टी, दोपहर में आधे घंटे की खाने की छुट्टी और हर महीने की 15 तारीख को मासिक वेतन दिया जाने लगा था ।
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03. एक ऐसे गांव जहां पर केवल एक महिला रहती है।
दोस्तों हम अक्सर ऐसी ऐसी घटनाएं और किस्से सुनते रहते हैं जो हमारे होश उड़ा देते हैं और उन्हीं में से एक यह भी है एक ऐसा गांव जहां पर केवल एक महिला रहती है।
बेशक यह आपको सुनने में अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच है एल्सी आइलर नाम की एक काफी बुजुर्ग महिला जिनकी उम्र लगभग 84 वर्ष है और एल्सी के गांव का नाम मोनोवी है जो अमेरिका के नेब्रास्का राज्य में स्थित है।
जब एलसी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने ने बताया कि वह इस गांव में अकेले इसलिए रहती है ताकि किसी को यह न लगे कि यह गांव भूतिया है।
वह उस जगह का रखरखाव खुद ही करती हैं इसके साथ ही वह गांव का पानी और बिजली का लगभग 35 हजार रुपये टैक्स भी भरती हैं।
एल्सी नाम की उस महिला को सरकार की तरफ से पब्लिक जगहों की रख-रखाव के लिए कुछ पैसे भी मिलते हैं। इस गांव की वह एकलौती नागरिक होने के नाते गांव की मेयर, क्लर्क और ऑफिसर सबकुछ हैं।
मोनोवी शुरू से ऐसा नहीं था 1930 तक यहां पर लगभग 150 लोग रहा करते थे लेकिन अब यहां पर केवल अलसी का घर ही बाकी है।
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दोस्तों आज के ब्लॉक पोस्ट में बस इतना है उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा यह ब्लॉग पोस्ट, “आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में” ( Amazing Facts In Hindi) पसंद आया होगा।
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